एक और वज्रपात, नीरज भैया को लील गया कोरोना
नीरज भैया से जुड़े तमाम वाकये, उनकी कही तमाम बातें, उनसे लड़ना-झगड़ना सब याद आ रहा है। बार-बार आंसू आते हैं उन्हें पौंछता हूं और फिर उनकी कोई स्मृति घेर लेती है और भावुक हो जाता हूं। भाभी और बच्चों के लिए प्रार्थना करने लगता हूं। घर से पता चला कि अभी भी भाभी और तीनों बच्चे बीमार हैं। सभी को बुखार है। उनकी चिंता सता रही है। बार-बार ईश्वर से यही विनती कर रहा हूं कि सब को ठीक कर दो। हे भगवान! पति और पिता का साया खो चुके इस परिवार पर तो पहले ही वज्रपात हो चुका है।
कोरोना वायरस महामारी की यह दूसरी लहर पहली से भी ज्यादा खतरनाक तो है ही इससे निपटने में साधनों की कमी और सरकारी तंत्र की उदासीनता ने इसे और घातक बना दिया है। पिछले कई दिनों से जान-पहचान के तमाम लोग जो बीमार हुए उनके लिए आक्सीजन, अस्पताल में बिस्तर और जरूरी दवाओं के इंतजाम के लिए जब प्रयास किए तो सच मानिए सिर्फ रोना ही आया। इतनी लाचारी-बेबसी कि खुद के होने का कोई अर्थ ही नहीं दिखा। फिर भी हौसला बनाए रखा है। अभी भी जब भी कोई मदद के लिए पुकारता है तो अपनी भरसक कोशिश करने का प्रयास करता हूं, कि शायद कुछ बात बन जाए और आशा-निराशा के बीच कई बार संतोषजनक परिणाम भी सामने आता है। लेकिन मन के एक कोने में दहशत पसरती जा रही है। यह तब और बढ़ रही है जब यह कहा जा रहा है कि कोरोना का पीक अभी आना बाकी है। लगभग एक माह बाद 25-30 मई के बीच देश का कोरोना का पीक आएगा। हे भगवान, तब क्या होगा।
कोरोना त्रासदी का शिकार हो रहे लोग सरकार के लिए महज संख्या है और यह आंकड़ा वह हर रोज जारी कर रही है, लेकिन जो लोग इसमें अपने को गंवा रहे हैं , खो रहे हैं उनके दुख का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, आखिर उनका पूरा संसार ही उजड़ जा रहा है। सरकार कुछ करेगी इस उम्मीद में रहने के बजाय अच्छा होगा कि खुद को यथासंभव घर में कैद कर इसका शिकार होने से बचाएं। हाथ जोड़कर विनती है कि अनावश्यक बाहर जाने से बचें। एक-दूसरे को हौंसला दे, उनका दुख बांटे। जो मदद कर सकते हों करें, हम मिलकर लड़ेंगे तभी इस कोरोना दानव को परास्त कर पाएंगे।