Tuesday, July 15, 2008

अंधा बांटे रेवड़ी अपनों-अपनों को दे

जनप्रतिनिधि हैं तो मौज काटिये। कानून बनाने की ताकत आपके हाथ में जो है। आपका छोटा सा कष्ट भी बहुत बड़ा है और जनता का बड़ा कष्ट भी बहुत छोटा। यकीन नहीं होता तो हरियाणा का ताजा उदाहरण आपके सामने है। सरकार राज्य के तमाम विधायकों-सांसदों को गुड़गांव और पंचकूला जैसे पाश इलाकों में रेवड़ी की तरह प्लाट बांटने जा रही है। सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक में कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है। सरकार का दिल जनप्रतिनिधियों की उस `मासूम` सी गुहार पर पसीजा है जिसमें उन्होंने कहा है कि चंडीगढ़ में विधानसभा सत्र में शिरकत करने और अन्य काम के लिए बार-बार आने पर आवास की परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब राज्य के सारे विधायक सांसद एकजुट होकर जो बात कहे वह सरकार नहीं माने ऐसा हो ही नहीं सकता। आखिर सरकार है कौन? यही विधायक-सांसद ही तो हैं।दरअसल यह अपनों को उपकृत करने की यह शानदार कवायद है। वरना जनप्रतिनिधियों के आवास की समस्या हल करने के लिए सरकार चंडीगढ़ में जनप्रतिनिधयों के लिए सरकारी आवास की व्यवस्था कराती। ठीक उत्तर प्रदेश की तरह। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित हजरतगंज में बने दारुलशफा में विधायकों के आवास की व्यवस्था है। दारुलशफा विधायक हास्टल है जिसमें निरवाचन के तुरंत बाद सरकार विधायकों को फ्लैट आवंटित कर देती है। विधानसभा सत्र और राजधानी आने के तमाम मौकों पर विधायक यहीं ठहरते हैं। अब जरा प्लाट बांटने जा रही हरियाणा सरकार से कोई पूछे कि जिन विधायकों और सांसदों को सरकार प्लाट आवंटित करेगी उनमें से कितने दुबारा चुने जाएंगे? फिर जो नए जनप्रतिनिधि चुनकर आएंगे अगले सत्र में उन्हें भी आवास की समस्या होगी। उनके लिए फिर प्लाट आवंटित करने होंगे। अगली बार फिर यही व्यवस्था दोहरानी पड़ेगी। हरियाणा सरकार के इस कदम से तो एक ही बात झलकती है कि यह गुड़गांव और पंचकूला जहां जमीन के दाम आसमान को छू रहे हैं वहां की महंगी जमीन के बड़े हिस्से पर जनप्रतिनिधियों को काबिज कराने का एक `कानूनी` प्रयास है। यह तो वही हुआ `अंधा बांटे रेवड़ी अपनो-अपनो को दे`।---पवनेश कौशिक

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