दुनिया की बातों से लेकर दुनियादारी की बातें। खबरें और रोचक जानकारियां और कभी-कभी चिंतन
Wednesday, May 28, 2008
बातोंबातोंमें--- मेरी-तेरी,इसकी-उसकी यानी सबकी बात
बातें हम करते जरूर हैं पर अकसर वो नहीं कह पाते जो कहना चाहते हैं. सामने वाला क्या सोचेगा, यह ठीक नहीं जैसे कई संकोच इस पर भारी भी पडते हैं.फिर हम जब कह रहे हों सामने वाला उसे सुनना चाहे यह भी जरूरी नहीं. अपनी बातों को शब्दों में पिरोकर उन्हें कागज या अब यूं कहें ब्लाग पर परोस देने में न कोई संकोच आडे आता है और न कोई बंधन.और हां बात कब करनी है और कब नहीं यह भी आप पर ही निर्भर करता हैं. तो जनाब अबसे यहां दिल खोलकर बातें होंगी. जानकारियों और विचार की खट्टी-मीठी और कडवी चाशनी में लिपटी ये बतकही कई बार बहुतकुछ सोचने के लिए भी मजबूर करेगी
जिंदगी को जितना समझता हूं ये उतना ही हैरान करती है..कभी लगता है हाय. ये क्या जिंदगी है, कभी लगता है वाह! ये ही जिंदगी है। ये नजरिया ही है जो कभी किताबों से हासिल होता है और कभी बातों से । बस इन्हें ही समेटने की कोशिश रहती है हमेशा।
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