कोरोना वायरस के बढ़ रहे प्रकोप और सावधानियों को लेकर सरकार द्वारा की जा रही अपीलों के बीच एक माह पहले (21 मार्च 2020) लगभग इसी वक्त ( रात 10.30 बजे) जब अपने गृहनगर खेकड़ा पहुंचा था, तो यह कहीं तक भी अंदेशा नहीं था, कि लॉकडाउन में यहीं फंस जाऊंगा। हर बार की तरह इस बार भी यही सोचकर आया था कि तीन दिन की छुट्टियां बिताकर वापस दिल्ली पहुंच जाऊंगा और फिर रोज की तरह दफ्तर और बाकी काम। दिल्ली से चलने से पहले मन में एक अंदेशा था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 22 मार्च रविवार को एक दिन के जनता कर्फ्यू के ऐलान को लेकर जन्मा था, लग रहा था जैसे लंबी लड़ाई की शुरुआत होने वाली है। इस अंदेशे की वजह थी इस दिन मेट्रो, रेल समेत सार्वजनिक सेवाओं का बंद होना। मन में एक खौफ पल रहा था कि आने वाले दिन कठिनाई भरे होने वाले हैं।
दरअसल, कोरोना के खिलाफ जंग की शरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि देशवासी 22 मार्च को रात नौ बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन करे। इसे उन्होंने जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का कर्फ्यू का नाम दिया था। उन्होंने शाम पांच बजे लोगों से कोरोना योद्धाओं के उत्साहवर्धन के लिए ताली, थाली बजाने की अपील भी की थी।
22 मार्च को जनता कर्फ्यू का पालन किया और घर से नहीं निकला, 23 तारीख भी बीती पर ये क्या 24 को प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन ने जैसे मन में पनप रही आशंका को सही साबित कर दिया। रात बारह बजे से 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान हो गया। यानि 25 मार्च से अगले 21 दिन तक जो जहां है, वहीं रहे।
प्रधानमंत्री केे राष्ट्र के नाम संबोधन तो कई हुए,लेकिन बेहद कठोर निर्णय वाला यह दूसरा माना जा सकता है। इससे पहला था नोटबंदी का। यह भी गजब इत्तफाक है कि जहां नोटबंदी के दिन भी अपनी दफ्तर से छुट्टी थी, वहीं लॉकडाउन का ऐलान भी हमने साप्ताहिक अवकाश होने के चलते घर पर ही बैठकर सुना।
देश अगले 21 दिनों के लिए लॉकडाउन हो चुका था और हम इसी चुनौतियों को लेकर चिंताओं में घिर चुके थे। इन्हीं में सबसे पहली थी, काम कैसेे होगा। हालांकि दफ्तर इस चुनौती को पहले ही भांप चुका था और होली 10 मार्च के बाद से इसकी तैयारियां होने लगी थी, सभी लोगों ने घर से काम करने की तैयारियां करने को लेकर अपने-अपने लैपटॉप, डेस्कटॉप को अपडेट कराना शुरू कर लिया था। संपादक जी ने सभी को इसके लिए प्रेरित किया और लगभग हर साथी आपात स्थिति में घर से काम करने को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर चुका था। सब मोर्चे पर आ डटे और उनके साथ हम भी। 25 मार्च से विधिवत तौर पर घर से काम करना शुरू किया जो आज तक अनवरत जारी है.......
दरअसल, कोरोना के खिलाफ जंग की शरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि देशवासी 22 मार्च को रात नौ बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन करे। इसे उन्होंने जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का कर्फ्यू का नाम दिया था। उन्होंने शाम पांच बजे लोगों से कोरोना योद्धाओं के उत्साहवर्धन के लिए ताली, थाली बजाने की अपील भी की थी।
22 मार्च को जनता कर्फ्यू का पालन किया और घर से नहीं निकला, 23 तारीख भी बीती पर ये क्या 24 को प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन ने जैसे मन में पनप रही आशंका को सही साबित कर दिया। रात बारह बजे से 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान हो गया। यानि 25 मार्च से अगले 21 दिन तक जो जहां है, वहीं रहे।
प्रधानमंत्री केे राष्ट्र के नाम संबोधन तो कई हुए,लेकिन बेहद कठोर निर्णय वाला यह दूसरा माना जा सकता है। इससे पहला था नोटबंदी का। यह भी गजब इत्तफाक है कि जहां नोटबंदी के दिन भी अपनी दफ्तर से छुट्टी थी, वहीं लॉकडाउन का ऐलान भी हमने साप्ताहिक अवकाश होने के चलते घर पर ही बैठकर सुना।
देश अगले 21 दिनों के लिए लॉकडाउन हो चुका था और हम इसी चुनौतियों को लेकर चिंताओं में घिर चुके थे। इन्हीं में सबसे पहली थी, काम कैसेे होगा। हालांकि दफ्तर इस चुनौती को पहले ही भांप चुका था और होली 10 मार्च के बाद से इसकी तैयारियां होने लगी थी, सभी लोगों ने घर से काम करने की तैयारियां करने को लेकर अपने-अपने लैपटॉप, डेस्कटॉप को अपडेट कराना शुरू कर लिया था। संपादक जी ने सभी को इसके लिए प्रेरित किया और लगभग हर साथी आपात स्थिति में घर से काम करने को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर चुका था। सब मोर्चे पर आ डटे और उनके साथ हम भी। 25 मार्च से विधिवत तौर पर घर से काम करना शुरू किया जो आज तक अनवरत जारी है.......
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