Monday, May 4, 2020

सरकारों के लिए 'जान' से प्यारा 'जाम'



लॉकडाउन के पहले दो चरणों की सख्ती में कुछ छूट के साथ तीसरे चरण की आज से शुरुआत हुई, लेकिन पहला ही दिन हंगामेदार रहा। शराब के ठेके खोलने का एक आदेश इसकी वजह बना। पहले ही दिन भोर से ही ठेकों के बाहर कई किलोमीटर की लाइनें लग गई। दिल्ली, उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश तक सिर्फ तमिलनाडु को छोड़कर शायद ही देश का कोई ऐसा राज्य रहा हो जहां शराब के शौकीनों की भीड़ न उमड़ी हो। तमिलनाडु ने सात मई से शराब की दुकाने खोलने का ऐलान किया है। इसका असर यह रहा कि तमिलनाडु और तेलंगाना से शराब के शौकीन आंध्र प्रदेश के सीमावर्ती जिलों चित्तूर, एसपीएस नेल्लोर, पूर्वी गोदावरी और कृष्णा में दुकानों के बाहर पंक्तियों में खड़े नजर आये। हालांकि सभी जगह निषिद्ध क्षेत्रों में शराब के ठेके नहीं खुले हैं। 
     
 दिल्ली समेत कई जगह तो पुलिस को लाठियां फटकारकर हालात को काबू करना पड़ा। इस पूरी स्थिति में सभी जगह सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक मेलजोल से दूरी) के नियम की सरेआम धज्जियां उड़ी। स्थिति बिगड़ने के कारण दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान में कई जगह शराब की बिक्री बंद करनी पड़ी। शराब को लेकर मची यह आपाधापी हैरान करने वाली थी। साथ ही कोरोना वायरस महामारी को लेकर अभी तक बरती जा रही सतर्कता को लोगो द्वारा ऐसे दरकिनार करना भी पीड़ादायक था। इस नासमझी से दुखी उन सभी लोगों को एक ही सवाल साल रहा था कि आखिर लोग यह क्यों नहीं समझ रहे कि शराब के ठेके को छूट सरकार ने दी है, कोरोना वायरस ने नहीं।  
वहीं राज्य सरकारों की शराब की ठेके खोलने को लेकर दिखाई गई हड़बड़ी भी समझ नहीं आ रही थी। आखिर लॉकडाउन के अभी तक के 40 दिनों में सख्ती से सामाजिक मेलजोल के नियम पर अमल की कोशिशों से कोरोना वायरस नियंत्रण पाने में राज्य सरकारें ही सफल रही थी। फिर इसका जो फायदा उन्होंने हासिल किया उसे वह क्यों गंवा देने पर आमादा है, यह समझ नहीं आया।
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकारों की खूब किरकरी हुई। लोगों ने न केवल सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ने वाले तमाम वीडियो और फोटो शेयर किए  बल्कि  प्रधानमंत्री समेत तमाम नेताओं को टैग कर उनसे इस आदेश को वापस लेने की विनती भी की। हालांकि इस सब का कोई असर नहीं दिखा और ठेके बंद होने से राजस्व का रोना रोने वाली सरकारों के कान पर कोई जूं नहीं रेंगी। हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जरूर यह ऐलान किया कि अगर लोग सामाजिक मेलजोल से दूरी के नियम पर अमल नहीं करेंगे तो ठेकों को खोलने का फैसला वापस ले लिया जाएगा। बाकी राज्य सरकारों ने इस पर क्यों ऐसा कोई रुख नहीं दिखाया, यह समझ नहीं आया। क्या राज्य सरकारों को जान से ज्यादा जाम प्यारा है? अगर ऐसा नहीं है तो ठेकों के बाहर सामाजिक मेलजोल से दूरी के नियम पर अमल कराएं और अगर यह संभव न हो तो इन्हें बंद करने में एक पल भी न गंवाए। यह ठीक है कि राजस्व भी जरूरी है तो इसके लिए आनलाइन  बिक्री या टोकन के जरिये बिक्री जैसे विकल्प अपनाए जा सकते हैं, क्योंकि अगर कोरोना वायरस संक्रमण से स्थिति बिगड़ी तो शराब के लिए अपनी जान दांव पर लगा देने वाले लोगों के बीच इसे संभालना आसान नहीं होगा।  भारत में सोमवार को कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 42836 पर पहुंच गई। जबकि संक्रमण के कारण मृतकों की संख्या  1389 हो गई।

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