Tuesday, September 23, 2008

विश्वास है जरूरी

ग्रेटर नोएडा में इटली की बहुराष्टीय कंपनी के सीईओ की हत्या की घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है। कर्मचारियों ने जो किया उसे किसी भी कीमत पर सही नहीं ठहराया जा सकता। इस घटना के दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए। आखिर सभ्य समाज में हिंसा की भी विवाद का हल नहीं है। सभी मसले बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं। इस घटना से नियोक्ता और कर्मी के संवेदनशील और भावुक रिश्ते को गहरा आघात पहुंचा है। लेकिन यह भी बिल्कुल सही है कि ऐसी घटनाओं का कारण इस भावुक रिश्ते के बीच पैदा हुई अविश्वास की खाई है। यह खाई दिनोंदिन चौड़ी होती जा रही है। इसका कारण दोनों पक्षों की एक-दूसरे से उम्मीदें हैं। यह पूरी होने के बजाय इनका दायरा बढ़ता ही चला जा रहा है। कर्मचारी हर सूरत में अपने द्वारा किए जा रहे काम यानि आउटपुट को बेहतर ठहराता है तो प्रबंधन उसमें हर बार और सुधार की और ही इशारा करता है। मालिक काम से संतुष्ट नहीं है, तो कर्मचारी दाम से। एक-दूसरे की प्रशंसा और प्रेरणा से संस्थान को प्रगति के मार्ग पर आगे ले जाने के उपाय न के बराबर नजर आते हैं। नियोक्ता और कर्मियों में दोषारोपण का सिलसिला ही चलता रहता है। यह ठीक नहीं है। ऐसा कर दोनों ही घाटे में हैं और रहेंगे। अच्छा हो कि नियोक्ता कर्मियों की स्थितियों और उनकी समस्याओं को सुलझाने के मामले में संजीदगी बरते। साथ ही कर्मचारी भी वह काम कर दें, जिससे नियोक्ता को कोई शिकायत नहीं रहे। वरना ऐसी घटनाएं होंगी और दोनों इसका खामियाजा उठाते रहेंगे। आज ग्रेटर नोएडा में जघन्या घटना हुई है कल गुड़गांव के हीरो होंड़ा में कर्मियों की पिटाई की घटना की पुनरावृत्ति होगी।

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