Thursday, August 14, 2008

दूरसंचार कंपनियों की मनमरजी के सामने बेबब ग्राहक

दूरसंचार कंपनियों की मनमरजी के सामने बेचारा ग्राहक
नियम-कानूनों के तमाम झालमेल के बावजूद भारत में उपभोक्ता या ग्राहक अभी भी निरीह और बेचारा ही है। देश में बड़ी कंपनियों के मायाजाल के सामने सरकार नतमस्तक है तो कानून बौने। मुझे भी अपने टाटा मोबाइल फोन के कनेक्शन के जरिये अपने आम उपभोक्ता होने की बेचारगी का बेहद कटु अनुभव हुआ। टाटा और बाटा के दो नाम मेरे जेहन में बचपन से ही आ गए थे। छात्र था तो दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ-साथ किताबों में जमशेद जी टाटा से लेकर रतन टाटा की काबिलयत और उनके कारोबारी तिलिस्म का अध्ययन किया। शायद यही कारण था, कि दिल्ली आने के बाद मोबाइल कनेक्शन चुनने की बारी आई तो मैने टाटा पर विश्वास किया। टाटा इंडीकाम का क्नेक्शन ९२१२५६७३२७ लिया। लेकिन समय पर बिल चुकाने जैसे एक अच्छे ग्राहक के सारे दायित्व निभाने के बावजूद टाटा फोन से लगातार टीस ही मिली। पहले कई वाकयों के बाद इस बार तो हद ही हो गई। मेरा फोन पिछले लगभग पांच दिनों से बंद पड़ा है। किस्सा कुछ यूं हैं।ग्यारह अगस्त २००८ को सुबह आठ बजे मेरा सिम ब्लाक हो गया। मैं उत्तर प्रदेश में अपने घर पर था। वहां से दिल्ली लौटा तो सीधे नोएडा, सेक्टर १२ पहुंचा। टाटा आउटलेट पर बताया गया कि सिम ब्लाक है और नया सिम खरीदना पड़ेगा। मंगलवार को मैं दिल्ली में लक्ष्मीनगर स्थित टाटा इंडीकाम के आफिस आदित्य इंटरनेशनल, पांच, भारती आरिटस्ट कालोनी, मैन विकास मारग, पहुंचा। यहां से मैने १०० रुपये देकर नया सिम (सीरियल नंबर-१५२२००३२०२०२२४९) खरीदा। कंप्लेंट नंबर १३२४७८६६५ के साथ दो घंटे में एक्टीवेशन का आश्वासन मिला। लेकिन शाम को चार बजे फोन आया कि सिम खराब है। नया सिम लेना पड़ेगा। उस दिन बाहर था। फोन बंद होने की जहमत के बीच गुरुवार को दिल्ली लौटा और फिर आदित्य इंटरनेशनल पहुंचा। उन्होंने नया सिम (सीरियल नंबर-१५२२००३२०२०३६५०) मुझे दिया। कंप्लेंट नंबर मिला- १३२७७७५९३। यह सिम भी खराब निकला। और फोन बंद का बंद ही रहा। बात इतनी सीधी भी नहीं है। आउटलेट वरकरों का जो व्यवहार था उसके तो कहने ही क्या। ग्राहक होने का अफसोस मुझे यहीं पर हुआ? मुझे कहा गया कि हमारी कोई गारंटी नहीं यदि सिम खराब होता है। फोन चालू हो या न हो आप अपने रिस्क पर सिम लें। पैसा भी वापस नहीं मिलेगा। चाहें तो आप अपना फोन बंद करा दें। इसके बावजूद मैने सिम खरीदा लेकिन फोन चालू नहीं हुआ। तमाम बक-झक के बाद पैसा वापस लेकर आया। बारिश में भीगते हुए देर शाम साढ़े छह बजे नोएडा में सेक्टर ११ अट्टा पर स्थित कंपनी के वेबवल्ड$ पहुंचा तो यहां के हाल और भी खराब मिले। कांउटर नंबर दो पर बैठे करमचारी ने साफ कह दिया कि पोस्टपेड के सिम उनके यहां खत्म हैं। आपकी कोई मदद नहीं हो सकती। अब पंद्रह अगस्त की सरकारी छुट्टी और फोन चालू होगा तो १६ अगस्त को ही नया सिम खरीदे जाने पर संभव होगा। लेकिन यहां सवाल यह है कि इतनी जलालत के बाद भी क्या मुझे टाटा का उपभोक्ता बने रहना चाहिए। अंतरआत्मा तो यही कह रही है कि छोड़ो तमाम आपरेटर देश में हैं किसी और की सेवाएं ली जाए। मैं अंतरआत्म के साथ ही जा रहा हूं। अब १६ अगस्त को टाटा का फोन बंद करा दूंगा। लेकिन क्या मुझे यहीं पर बात खत्म कर देनी चाहिए। मन तो यही कह रहा है कि उपभोक्ता फोरम को भी आजमा लेना चाहिए। यही करुंगा भी। ग्राहक के प्रति रुखी हुई कंपनी को सबक तो सिखाया ही जाना चाहिए। फोन के बंद रहने पर क्या-क्या नुकसान उठाने पड़ते हैं, यह फोन रखने हर उपभोक्ता समझ सकता है। (भाषाई दोष फोंट के कारण हैं)
पवनेश

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